Monday, December 23

ग़ाज़ियाबाद के रामलीला मैदान में आयोजित ध्यान साधना सत्र के दूसरे दिवस के प्रातःकालीन सत्र में उपस्थित साधकों को बोलते हुए पूज्या डॉ. अर्चिका दीदी जी ने कहा कि मन की यात्रा ऐसी होती है, वह कभी भी किसी भी एक स्थान पर हमें टिकने नहीं देती है। कितना भी मन को हम लगाने की कोशिश करें, मन वहां से भटक जाता है। आप सोचते हैं कि मैं अपना मन को लगाऊंगा, उस तरफ ध्यान दूंगा, जितना ही सोचते हैं, उतना ही मन हमारा भटक जाता है। जो कार्य हम मन में सोचते हैं, वह पूरा नहीं होता है और मन भटक जाता है। मन जिस चीज को पसंद करता है, वह वहीं पर जाना चाहता है। जो चीज उसको सरल लगती है और अच्छी लगती हैं और उसी तरफ ही जाना चाहेगा लेकिन जहां पर उसे अच्छा नहीं लगता है, मन वहीं से छुटकारा पाकर दूसरी तरफ भागना चाहता है।
अपना दोनों हाथ जोड़कर परमात्मा और सदगुरुदेव का धन्यवाद करें।

IndiaRaftaar | News about Bharat | Local & Global

  • Download the e-book now!
Leave A Reply

© 2024 India Raftaar. Designed by WabaLabs.