गाजियाबाद कवि नगर रामलीला मैदान विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों को जलाने और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को नष्ट किए जाने के सिलसिले से यदि कुछ साबित हो रहा है तो यही कि वहां की सेना के साये में काम कर रही अंतरिम सरकार पर भारत की चिंताओं का कोई असर नहीं। भारत अगस्त से ही बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं को लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर रहा है, लेकिन मोहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ऐसा व्यवहार कर रही है, जैसे उसके देश में कहीं कुछ अप्रिय घटित ही न हो रहा हो। इससे भी खराब बात यह है कि वह हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों पर निरंतर हमलों की घटनाओं को छिटपुट मामले बता रही है और भारत पर यह आरोप भी मढ़ रही है कि वह उसके आंतरिक मामलों में अनावश्यक टीका- टिप्पणी कर रहा है। परमार्थ सेवा ट्रस्ट के चेयरमैन वी के अग्रवाल ने बताया कि भारत को बांग्लादेश से दो टूक कहना चाहिए कि बांग्लादेशी हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की जान-माल पर खतरा उसका आंतरिक मामला नहीं हो सकता और इसलिए नहीं हो सकता, क्योंकि वे अविभाजित भारत के ही नागरिक हैं। यह लज्जा की बात है कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार न तो अपने यहां के अल्पसंख्यकों पर हमले रोक पा रही है और न ही उन चरमपंथी और जिहादी तत्वों पर लगाम लगा पा रही है, जो भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करने में लगे हुए हैं। इन तत्वों का दुस्साहस इतना अधिक बढ़ा हुआ है कि वे भारत को धमकियां दे रहे हैं। यह तभी संभव है, जब उन्हें सरकार और सेना का संरक्षण मिल रहा हो।
अब इसमें कोई संदेह नहीं कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की तरह वहां की सेना की भी इसमें दिलचस्पी नहीं कि अतिवादी तत्वों पर लगाम लगे और हिंदुओं एवं अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों का सिलसिला बंद हो। यह बांग्लादेश सरकार की ढिठाई ही है कि वह हिंदुओं पर हमलों के मामले में अंतरराष्ट्रीय चिंताओं की भी परवाह नहीं कर रही है। यह ठीक नहीं कि भारत सरकार केवल इसकी कोशिश करे कि बांग्लादेश में प्रताड़ित हिंदू पलायन कर भारत न आने पाएं। इसके साथ ही उसे यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वे वहीं पर सुरक्षित बने रहें। यह अच्छा है कि भारतीय विदेश सचिव शीघ्र ही ढाका जा रहे हैं, लेकिन वहां के हालात सुधरने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। इन स्थितियों में भारत को बांग्लादेश पर कारगर दबाव बनाने के लिए सभी विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहिए। उसे यह देखना चाहिए कि बांग्लादेश पर हिंदुओं की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़े। वैसे यह देखना दयनीय है कि जहां कई देशों ने वहां के हिंदुओं के दमन के खिलाफ आवाज उठाई है, वहीं भारत के विपक्षी दल उनके उत्पीड़न पर मौन धारण करना पसंद कर रहे हैं
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